google-site-verification=swiDAKJayMMZfFe7iOWH_o40LJwoKUu7o47q9B1or1c झाला मान सिंह

झाला मान सिंह

वीरयोद्धा झाला मान सिंह 

आज वीर योद्धा झाला मानसिंह के 478 वे  जन्मदिवस पर उनकी जीवन की वीरता को पड़ने और लिखने का अवसर प्राप्त हुआ || 



राजपूतों के इतिहास में कही स्वामिभक्त हुहे पर उनमे से एक महान और स्वामिभक्त सैनिक हुए लेकिन झाला मानसिंह जैसे उदाहरण कम ही हैं| ये झाला ही थे जिनके कारण हल्दीघाटी के विनाशकारी युद्ध में राणा प्रताप की जान बची और मुगलों की सेना से बुरी तरह घिरे राणा की जान बचाने के लिए झाला मान सिंह ने अपने प्राणों की आहुति दे दी आज भी राजस्थान के इतिहास में राणा मान सिंह झाला का बलिदान अमर है | 

पृथ्वीराज चौहान अंतिम हिंदू सम्राट


युद्ध में तो अकबर कभी भी युद्ध जीत सका और ही राणा कभी युद्ध हारे, ऐसा माना जाता है। मुग़लों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास रणबाकुरे, वीर योद्धा, की शक्ति अधिक थी। युद्ध में जहाँगीर पर राणा प्रताप के आक्रमण को देखकर असंख्य मुग़ल सैनिक उनी की तरफ़ बढ़े और प्रताप को घेरकर चारों तरफ़ से प्रहार करने लगे। प्रताप के सिर पर मेवाड़ का राजमुकुट लगा हुआ था। इसलिए मुग़ल सैनिक उसी को निशाना बनाकर वार कर रहे थे। राजपूत सैनिक भी राणा को बचाने के लिए प्राण हथेली पर रखकर संघर्ष कर रहे थे। परन्तु धीरे-धीरे महाराणा प्रताप संकट में फँसते ही चले जा रहे थे। स्थिति की गम्भीरता व् प्रताप पर संकट देख कर  मन्ना जी ने राणा प्रताप के सिर से मुकुट उतार कर अपने सिर पर रख लिया और घमासान युद्ध करने लगा। मुग़लसैनिक उसे ही प्रताप समझकर उस पर टूट पड़े। राणा प्रताप जो कि इस समय तक बहुत बुरी तरह घायल हो चुके थे, उन्हें युद्ध भूमि से दूर निकल जाने का अवसर मिल गया। उनका सारा शरीर अगणित घावों से लहूलुहान हो चुका था। युद्ध भूमि में जाते-जाते पता अपने मन्ना जी को मरते देखा राजपूतों ने बहादुरी के साथ मुगलों का मुकाबला किया परंतु मैदानी तो तथा बंदूक भाइयों से सुसज्जित शत्रु की विशाल सेना के सामने समूचा पराक्रम निष्पक्ष युद्ध भूमि पर उपस्थित 22000 राजपूत सैनिकों में से केवल 8000 चीनी चीनी यूएसए किसी प्रकार बच कर निकल पाए इस प्रकार हल्दीघाटी के इस भयंकर युद्ध में बड़ी सादड़ी के कि जरूर चला सरदार मान या बन्ना जी ने गाना की फाग पगड़ी लेकर उनका आशीष बचाया राणा अपने बहादुर सरदार का जर्मन कभी नहीं पूछ सके इसी युद्ध में राणा का प्रांतीय घोड़ा चेतक अपने स्वामी की रक्षा करते हुए शहीद हो गया विश्व युद्ध में उनका अपना भाग्य पाई शक्ति सिंह भी उनसे नाम मिला और उनकी रक्षा में उसका भाई प्रेम उजागर होता
इस वीर योद्धा की वीरता को सादर नमन जय मेवाड़ जय एकलिंग नाथ





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